इस्लामिक जिहाद मूवमेंट के उप महासचिव मुहम्मद अल-हिंदी ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के युद्ध के बाद उसके प्रशासन के लिए पेश किए जा रहे विभिन्न योजनाओं को सख्ती से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस्राईल के स्थान पर किसी भी अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती पूरी तरह अस्वीकार्य है।
अल-हिंदी ने अपने बयान में कहा, “उन देशों पर इस्राईल को वीटो अधिकार देना, जो ऐसी किसी अंतरराष्ट्रीय सेना में भाग ले सकते हैं, पूरी तरह निंदनीय है और यह तल अवीव की साम्राज्यवादी नीति की निरंतरता जैसा है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ग़ज़्ज़ा का प्रशासन या उससे संबंधित किसी भी तकनीकी या कार्यकारी समिति को केवल फ़िलिस्तीनी नेतृत्व के अधीन होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ग़ज़्ज़ा का प्रशासन संभालने वाली कोई भी समिति अपनी वैधता फ़िलिस्तीनी जनता से लेगी, न कि किसी अंतरराष्ट्रीय परिषद या संस्था से।”
इस्लामिक जिहाद के उप महासचिव ने यह भी आरोप लगाया कि ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू जानबूझकर युद्धविराम समझौते के दूसरे चरण को लागू करने में देरी और बाधा डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “नेतन्याहू बेबुनियाद बहाने बनाकर समझौते के अगले चरण को टाल रहे हैं।
अल-हिंदी ने कहा, ग़ज़्ज़ा के भविष्य से जुड़ी कोई भी योजना या पहल फ़िलिस्तीनियों की इच्छा और निर्णय पर आधारित होनी चाहिए, न कि बाहरी शक्तियों की उन योजनाओं पर जो कब्ज़े को स्थायी बनाने के लिए बनाई गई हैं।
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